भारतीय संस्कृति और कोरोना महामारी
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 भारतीय संस्कृति ने सिखाया है कोरोना महामारी में जीने का तरीका

भारत ऋषि-मुनियों का देश रहा है

भारतीय संस्कृति मानवता पर विश्वास करता है

भारतीय संस्कृति दुनिया की सबसे प्राचीनतम संस्कृति में से एक  है

यह लोगों को जीने का तरीका बताती है

भारतीय समाज के बहुत से रीति रिवाज जो पहले पिछड़ा हुआ माना जाता था कोरोना महामारी के दौरान उन्हें एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जा रहा है

 भारत में जब भी किसी की मृत्यु होती थी उस दौरान 13 दिन तक उस घर में कोई प्रवेश नहीं करता था। यही आइसोलेशन था क्योंकि मृत्यु या तो किसी बीमारी से होती है या वृद्धावस्था के कारण जिसमें शरीर तमाम रोगों का घर होता है।

यह रोग हर जगह न फैले इसलिए 14 दिन का क्वॉरंटीन बनाया गया।

जो शव को अग्नि देता है, उसको घर वाले तक नहीं छू सकते। 13 दिन तक उसका भोजन, पानी, बिस्तर, कपड़े सब अलग कर दिए जाते हैं। 

तेरहवें दिन शुद्धिकरण के पश्चात, सिर के बाल हटवाकर ही पूरा परिवार शुद्ध होता था।लेकिन तब भी आप बहुत हँसे थे। ब्लडी इंडियन कहकर खूब मजाक बनाया।

जब मां बच्चे को जन्म देती है तो जन्म के 11 दिन तक बच्चे व माँ को कोई नही छूता। ताकि जच्चा और बच्चा किसी इंफेक्शन के शिकार ना हों। लेकिन इस परम्परा को पुराने रीति रिवाज, ढकोसला कह कर त्याग दिया गया।जब किसी के शव यात्रा से लोग आते हैं घर में प्रवेश नहीं मिलता है और बाहर ही हाथ पैर धोकर स्नान करके, कपड़े वहीं निकालकर घर में आया जाता है, इसका भी खूब मजाक उड़ाया आपने। 

अब समझ मे आ गया होगा  हमारे धर्म को ‘सत्य सनातन’ क्यों कहते हैं !

भारतीय संस्कृति में हाथ जोड़कर ‘नमस्ते’ करने का रिवाज रहा है जिसे अब पूरी दुनिया  महामारी के दौरान अपना रहे है !

महामारी ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि भारतीय संस्कृति एक महान संस्कृति है

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