Rakshabandhan complete information,रक्षाबंधन सम्पूर्ण जानकारी
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रक्षाबंधन भाई और बहन के प्यार के प्रतिक का त्योहार है

      
रक्षाबंधन

आमतौर पर रक्षा बंधन का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है
रक्षा बंधन का शाब्दिक अर्थ  “रक्षा का बंधन” होता है
भाई अपनी बहन को हर मुश्किल से रक्षा करने का वचन देता है। 
बहनें अपने भाईयों के लंबी आयु की कामना करते हैं। इसे “राखी पूर्णिमा” से भी जाना जाता है।
  राखी को एक धर्मनिरपेक्ष  त्यौहार भी
मान सकते है, क्योंकि यह त्यौहार पूरे देश में मनाने के साथ-साथ  सभी राज्यों, जातियों और धर्मों के लोग  इसे मनाते है। 
भारत के अलावा राखी मॉरीशस और नेपाल में भी मनाई जाती है।

 रक्षाबंधन का इतिहास बहुत पुराना है, इसे सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़ा हुआ माना जाता है।

रक्षाबंधन की शुरुआत के सबसे पहले ऐतिहासिक साक्ष्य रानी कर्णावती व सम्राट हुमायूं हैं।
भारतीय मध्यकालीन युग में राजपूत व मुस्लिमों के बीच संघर्ष चल रहा था।
रानी कर्णावती चित्तौड़ के राजा के वीरगति प्राप्त होने के  बाद विधवा हो गयी थी

उस दौरान गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा की सुरक्षा का कोई रास्ता न निकलते देख रानी कर्णावती  ने हुमायूं को राखी भेजी थी।
तब हुमायूं ने उनकी रक्षा कर उन्हें बहन का दर्जा दिया था।

दूसरा साक्ष्य एलेग्जेंडर व पुरु के बीच का माना जाता है। कहा जाता है कि हमेशा विजयी रहने वाला एलेग्जेंडर भारतीय राजा पुरु की प्रचंडता से काफी विचलित हुआ। इससे एलेग्जेंडर की पत्नी काफी तनाव में आ गईं थीं,
उन्होंने रक्षाबंधन के त्यौहार के बारे में सुना था।  इसलिए उन्होंने भारतीय राजा  पुरु को राखी भेज दिया तब जाकर युद्ध की स्थिति समाप्त हो पाया। क्योंकि भारतीय राजा पुरु ने एलेग्जेंडर की पत्नी को बहन मान लिया था।

इतिहास का तीसरा साक्ष्य पौराणिक काल से है।
कृष्ण व द्रौपदी को इसका श्रेय माना जाता है।  भगवान कृष्ण  ने दुष्ट राजा शिशुपाल को मारा था। युद्ध के दौरान कृष्ण के बाएं हाथ की अंगुली से खून बह रहा था।इसे देखकर द्रोपदी बेहद दुखी हुईं और उन्होंने अपनी साड़ी का टुकड़ा चीरकर कृष्ण की उंगली में बांध दिया, जिससे उनका खून बहना बंद हो गया।
तभी से कृष्ण ने द्रौपदी को अपनी बहन स्वीकार कर लिया था। वर्षों बाद जब पांडव द्रौपदी को जुए में हार गए थे और भरी सभा में उनका चीरहरण हो रहा था तब कृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाई थी।
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इस प्रकार रक्षाबंधन मनाने के मुख्यतः तीन कारण माने जाते है

Rakshabandhan is a festival of love for brother and sister.
 The festival of Raksha Bandhan is usually celebrated on the full moon day of Shravan month.
 Raksha Bandhan literally means “bond of protection”
 The brother vows to protect his sister from every difficulty.
 The sisters wish their brothers a long life.  It is also known by “Rakhi Purnima”.
   Rakhi is also a secular festival
 We can assume, because this festival goes along with celebrating throughout the country, people of all states, castes and religions celebrate it.
 Apart from India, Rakhi is also celebrated in Mauritius and Nepal.
 The history of Rakshabandhan is very old, it is considered to be associated with the Indus Valley Civilization.
 The earliest historical evidence of the beginning of Rakshabandhan is Rani Karnavati and Emperor Humayun.
 There was a struggle between the Rajputs and the Muslims in the Indian medieval era.
 Rani Karnavati was widowed after the King of Chittor received the Viragati.
 During that time, Rani Karnavati sent a rakhi to Humayun after seeing no way of protecting his and his subjects from Sultan Bahadur Shah of Gujarat.
 Humayun then protected her and gave her sister status.
 The second evidence is believed to be between Alexander and Puru.  Alexander, who is always victorious, is said to have been greatly distracted by the wrath of the Indian king Puru.  This made Alexander’s wife very tense,
 He had heard about the festival of Rakshabandhan.  Therefore, he sent a rakhi to the Indian king Puru, when the situation of war was over.  Because the Indian king Puru accepted Alexander’s wife as a sister.
 The third evidence of history is from the mythological period.
  It is attributed to Krishna and Draupadi.  Lord Krishna killed the evil king Shishupala.  During the battle Krishna was bleeding from the finger of his left hand. On seeing this, Draupadi was deeply saddened and she cut a piece of her sari and tied it in Krishna’s finger, which stopped her bleeding.
 Since then, Krishna had accepted Draupadi as his sister.  Years later, when the Pandavas lost to Draupadi in gambling and they were tearing up in a crowded assembly, Krishna saved Draupadi’s shame.
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 Thus, there are mainly three reasons for celebrating Rakshabandhan.
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