मन की बातें मत सुनना….. जीते जी मरवा देगा.
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मन तुम्हें बहुत कुछ करने के लिए खींचने लगता है, लेकिन परिणाम कुछ खास मिलता नहीं है।
जो “सफलता” आप चाहते हो वैसा आपको मिलता नहीं
जो हम चाहते है वैसा होता नहीं है, जैसा चाहते है मिलता नहीं….
ऐसा क्यों होता है? 24 घंटे कट जाते है, लेकिन कोई खास आउटपुट प्राप्त नहीं होता हैं… जिंदगी मानों निरस सी हो जाती है..
इसका सबसे बड़ा कारण अगर कोई है तो आपका “मन” …!
आपका मन ही आपको ऐसे-ऐसे काम करवाते हैं जो असल में आप चाहते ही नहीं थे…!
फिर भी आपको करना पड़ता है।
पहले तो हमें पता नहीं चलता है लेकिन बाद में एहसास होता है कि मन की बातें सुनकर कोई फायदा नहीं हुआ।
मन द्वारा लिया गया निर्णय आपको अच्छा तो लग सकता है ,आपके लिए
मजेदार भी हो सकता है लेकिन जिंदगी के वास्तविक आउटपुट प्राप्त हो ऐसा जरूरी नहीं…
जब आपको लोग कोसने लगते हैं … कुछ करते क्यों नहीं हो..? कुछ बनते क्यों नहीं हो..? क्या कर रहे हो आजकल…?
सफलता कब मिलेगी..? नौकरी कब मिलेगी?
तभी आपको लगने लगता है कि मेरे द्वारा लिए गये सारे निर्णय सही नहीं थे
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आगर आप चाहते है कि…
जो हम चाहते है वहीं हो तो सबसे पहले “मन”जो हमारे ऊपर राज कर रहे हैं, जो राजा बने बैठा है, उसको सेवक बनाना।
मन से काम लेना ना कि उसका गुलाम बनना।
अगर तुम समाज में बेस्ट बनना चाहते हो
तुमको कुछ करके दिखाना है, तुम भीड़ में खुद को अलग साबित करना चाहते हो
तुम्हें यह अनुभव करना होगा कि तुम्हारे अंदर दो रूप है। एक अच्छा है और दूसरा बुरा है
एक रूप से तुम्हें प्यार रहता है तो दूसरे रूप से तुम्हें नफरत रहता है
एक रूप में जब तुम होते हो तुम्हें सब ठीक लगता है लेकिन दूसरे रूप में तुम्हें पता होता है कि तुम गलत हो फिर भी ना चाहते हुए भी करना पड़ता है
खुद में दो रूपों का सामना करना ही सारी समस्या का जड़ होता है
एक पल में बहुत खुश होते है तो दूसरे पल में बहुत परेशान हो जाते है
तुम जो सोचते हो वही तुम कर सको, जो तुम्हें करना है वही तुम सोच सको, इसके लिए सबसे जरूरी है मन पर काबू करना।
“मन” को काबू किया जा सकता है।
इसके लिए छोटे-छोटे “स्टेप”उठाकर मन पर विजयी प्राप्त कर सकते हो
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तुम जीत सकते हो, इसे समझने की जरूरत है…! मान लो, तुम पढ़ाई कर रहे थे अचानक तुम्हारे मन में तेज विचार आया कि चलो उस दोस्त से मिलने जाते है अथवा किसी दोस्त को फोन करते हैं…?
यह विचार तुम्हारे मन में आवेग के साथ आयेगा फिर तुम बेचैन हो जाओगे, तुम्हे शांत रहना मुश्किल हो जायेगा
जितना मन के खिलाफ जाओगे उतना परेशान हो जाओगे
अंत में तुम मन की बहकावे में फस जाओगे?
एक बार फोन उठाकर बात करना शुरू कर दिया तो आपका मन एक “विशेष जोन”में पहुंच जाता है
फिर तुम्हारे मन का पढ़ाई से संपर्क टूट जाता है।
अब तुम्हें समय का कोई एहसास नहीं होने लगता है
तुम्हें इस बात का भी कोई फर्क नहीं पड़ता कि पढ़ाई तुम्हारे लिए कितना जरूरी था
असल में मन ने तुम्हारे साथ एक गेम खेला था जिसमे तुम फंस जाते हो क्योंकि हमारे मन का यह स्वभाव होता है कि वह हमेशा स्वतंत्र रहना चाहता है, किसी प्रकार का टेंशन नहीं लेना चाहता है
इसलिए हमारे मन हमसे नई-नई साजिश रचते रहता है
इसलिए पढ़ाई जैसी चीजे वही इंसान कर सकता है जिसको पढ़ने का बहुत शौक हो,जो पढ़ने के लिए कुछ भी त्यागने को तैयार हो ,वही मन लगाकर पढ़ सकता है
ऐसा न होने पर पढ़ते वक्त हजारों बहाने मन बनाने लगेगा
अगर आप वास्तव मेें बहुत पढ़ना चाहते हो लेकिन फिर भी आपका मन ,अपने स्वभाव से बाज नहीं आयेगा
इसलिए सबसे जरूरी है अपने मन को काबू करना सीखना होगा
मन ने जो घमण्ड पाल रखा है उसे तोड़ने की जरूरत है****”***”””””**************”””””””*****”””””””
इसके लिए क्या करना है कि जब तुम अपनी महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हो उस समय यदि मानो तुम्हें किसी अखबार या टेलीविजन से किसी फिल्म के वारे में जानकर तुम्हारे मन में फिल्म को देखने का प्रबल इच्छा हो रहा है,
तो अब तुम्हें क्या करना है कि अपने मन को सीधे मना नहीं करना है उनका तत्काल इज्जत रख लेना है
…क्योंकि मन को रोकना नहीं है मन को परिवर्तन करना है
इसलिए तुरंत तैयार हो जाना है, कपड़े ,जूते सब पहन लेना है, सैंट लगा लेना है
अब देखना मन शांत होने लगेगा क्योंकि मन को यकीन हो जायेगा कि मन की बात मान लिया गया इसलिए मन का घमण्ड कम हो जायेगा
….अब हमे क्या करना है कि पुरी तैयारी करने के बाद अंत में जाना कैंसल कर देना है
इससे क्या होगा….पहली बार मन को झटका लगेगा
पहली बार मन हार जायेगा और तुम जीत जाओगे
इस तरफ तुम पहली बार खुद को विजेता महसूस कर पाओगे
तुम अपने विचारों से खुद को अलग पाओगे
तुम्हें एक खालीपन का एहसास कर पाओगे
अगर तुम इस प्रकार के प्रयोग करके खुद को रोकना सीख गये तो समझना तुुुुम्हारे
नई जन्म की शुरुआत हो चुकी है
अब तुम्हें रोकना आना सीखना होगा
तुम्हें सभी दोस्तों के दारू पीने पर भी खुद न पीना सीखना होगा
सिगरेट पुरी जल जाये लेकिन ना पीना, सीखना होगा
तुम्हें सबके बीच रहकर , सबसे अलग रहना सीखना होगा
तुम्हें कीचड़ में रहकर , कमल बनना सीखना होगा
तुम्हें ,जब सब चिल्ला रहे होंगे तो चुप रहना सीखना होगा
इस तरह ,तुम्हें खुद से ,न कहना …सीखना होगा
तुम्हारे न कहने से बहुत से आदत छूटने लगेगा
तुम्हारा मन जो पहले तुम्हें बहुत दौड़ता था
अब धीरे – धीरे तुम्हारे नियंत्रण में आ जायेगा
बस यहीं करना है कि अंतिम समय खुद को खुद से अलग करते रहना है
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Sksarkar2
मन की बातें मत सुनना….. जीते जी मरवा
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Sksarkar
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